tag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post666093838484970388..comments2023-10-26T06:53:56.362-07:00Comments on चिंतन: परिष्कारवंदना शुक्लाhttp://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post-69708982363052429232011-08-01T11:24:57.688-07:002011-08-01T11:24:57.688-07:00गहन अभिव्यक्ति .. अच्छी लगी रचनागहन अभिव्यक्ति .. अच्छी लगी रचनासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post-77573233176649974402011-08-01T07:14:50.182-07:002011-08-01T07:14:50.182-07:00shukriya prerna jishukriya prerna jiवंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post-18427049918386731432011-08-01T07:00:16.659-07:002011-08-01T07:00:16.659-07:00रख लिया है चंद यादों को सहेजकर
जिन्होंने सच से रु ...रख लिया है चंद यादों को सहेजकर<br />जिन्होंने सच से रु ब रु कराया<br />पर सबसे मुश्किल था<br />उन खूबसूरत लंबी सड़कों का सच<br />मंजिल तक पहुँचने से पहले जिनके<br />सिरे बंद हो गए होंगे<br />या खुद को मोड लिया होगा उन्होंने<br />दूसरे रास्तों की ओर .बहुत ही गहन और सार्थक अभिब्यक्ति /बधाई आपको /prerna argalhttps://www.blogger.com/profile/11905363361845183539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post-54875621462196156972011-08-01T03:07:00.664-07:002011-08-01T03:07:00.664-07:00आप सभी का बहुत धन्यवादआप सभी का बहुत धन्यवादवंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post-33143236428270560652011-08-01T01:54:57.161-07:002011-08-01T01:54:57.161-07:00रख लिया है चंद यादों को सहेजकर
जिन्होंने सच से रु ...रख लिया है चंद यादों को सहेजकर<br />जिन्होंने सच से रु ब रु कराया<br />पर सबसे मुश्किल था<br />उन खूबसूरत लंबी सड़कों का सच<br />मंजिल तक पहुँचने से पहले जिनके<br />सिरे बंद हो गए होंगे ....<br /><br />अनुपम अभिव्यक्ति...<br />सादर...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post-44795053463189568192011-07-31T23:25:46.768-07:002011-07-31T23:25:46.768-07:00जिंदगी बिखेर ली है मैंने ,मेरे इर्द गिर्द
इतवार की...जिंदगी बिखेर ली है मैंने ,मेरे इर्द गिर्द<br />इतवार की ‘डस्टिंग’ की तरह<br />बीन रही हूँ उसमे से<br />उपियोगी-व अनुपयोगी सच<br />इस रचना की संवेदना, शिल्पगत सौंदर्य और प्रयुक्त बिल्कुल नए बिम्ब मन को भाव विह्वल कर गए हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com