tag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post8651020603815989300..comments2023-10-26T06:53:56.362-07:00Comments on चिंतन: चेखव और आनरे रेना आल्बेर गे द मोपांसावंदना शुक्लाhttp://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post-38554026918296558392013-09-14T07:34:22.274-07:002013-09-14T07:34:22.274-07:00प्रवीण जी ,दरअसल चेखव ,गोर्की,मोपांसा,या हेमिंग्व...प्रवीण जी ,दरअसल चेखव ,गोर्की,मोपांसा,या हेमिंग्वे जैसे विश्व प्रसिद्ध लेखकों की रचनाएँ पढ़कर सचमुच कुछ ऐसा ही लगता है जैसे ज़िंदगी भर ज़मीनी खूबसूरती के आकर्षण के बाद पहली बार किसी ने आसमान का अलौकिक ,अद्भुत और विराट सौन्दर्य देखा हो ...ये मेरे प्रिय लेखक हैं और आप गोर्की का माय यूनिवर्सिटीज़ ज़रूर पढियेगा यदि उपलब्ध हो सके ...वंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1767026037456626947.post-24269039565812539512013-09-12T23:16:00.169-07:002013-09-12T23:16:00.169-07:00अभी तक पढ़ा नहीं, आपका आलेख पढ़ने के बाद इच्छा जाग...अभी तक पढ़ा नहीं, आपका आलेख पढ़ने के बाद इच्छा जाग उठी है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com