24 जनवरी 2013
15 जनवरी 2013
प्रेम
प्रेम को नहीं चाहिए
अपने होने के बीच
कोई कविता ,शब्द
रंग , गीत या द्रश्य
मौन प्रतीक्षा की
प्रेम एक अद्रश्य ज़रूरत है
एक नीली पारदर्शी नदी
बहती रहती है जो चुपचाप
कोमल विरलता में
आत्मा से आत्मा तक
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