15 जनवरी 2013

प्रेम

प्रेम को नहीं चाहिए 
अपने होने के बीच 
कोई कविता ,शब्द 
 रंग , गीत या द्रश्य
 मौन प्रतीक्षा की
 प्रेम एक अद्रश्य ज़रूरत है
 एक नीली पारदर्शी नदी 
बहती रहती है जो चुपचाप 
कोमल विरलता में
आत्मा से आत्मा तक