29 जनवरी 2014

Happy Friendship Day

दोस्ती ,प्रेम से ज्यादा नाज़ुक चीज़ होती है |प्रेम एक बार टूटने पर दुबारा किया जा सकता है दोस्ती नहीं ....(पॉल थरू)

9 जनवरी 2014

वजह

मेक्सिम गोर्की
दशकों पहले
क्यूँ लगा था तुम्हे कि
स्वार्थ का क्षरण और संवेदनाओं की हिफाज़त
प्रथ्वी को बचाए रखने की सबसे ज़रूरी
कोशिश है
मोपांसा
क्या दिखाई दिया था तुम्हे किसानों का भविष्य
नोरमंडी किसानों की आँखों में ?
नेली साख्स
क्या खोज रही थीं तुम
प्रकृति के रहस्य की कंदराओं में ?
प्रेमचन्द
क्यूँ तुम्हे लिखने पड़े अपनी कहानियों में
घीसू धनियाँ जैसे चरित्र
क्यूँ गुहार लगानी पडी खुदा के बन्दों को
अल्लाह की देहरी पर
क्यूँ नज़र आई हेमिंग्वे को अपने
सपनों के अंतिम सिरे पर मौत की बूँद ?
आसमान पर नज़र जाती ही नहीं टिकती भी तभी है
उखडने लगे हों पैर जब

अपनी ही ज़मीन से  

7 जनवरी 2014

माँ

माँ
नहीं लिख पाईं अपने जीवन की डायरी में  
अपने बिखरे हुए भविष्य को कभी
 उतना व्यवस्थित और नियमबद्ध
जितना अचूक लिखती रहीं वो
पिछले रिश्तों के अहसानों व्
अगले महीने के किराने और
ज़रूरी कामों की सूची को
अपनी बूढ़ी याददाश्त और  
उस चीकट ‘’कापी’’ में
माँ नहीं रख पाई सहेजकर अपने
बच्चों को अपने पास हमेशा
जैसे रखती रही वो
सीमित आय और असीमित खर्चों के बीच
चिल्लर बचाकर अनाज के डब्बों में