ठान लो
अन्याय के विरुद्ध
कार्यवाही
जो नहीं की गई
अब तक
डर से, लिहाज से
या फिर
महज एक
टी वी चैनल की
रोजमर्रा की
रोजी और
स्वयं का टाइम पास समझ
बिसराने की
कोशिश की गई
और इस कोशिश में
बीत गई पीढियां,कुनबे और
युग
कभी सोचा?कि
अत्याचार बाकायदा
एक जधन्य अपराध
होता है?,चाहे वों
प्ुालिस का फर्जी एनकाउंटर की शक्ल में ही
या कि वकील के
द्वारा झूठी गवाही के द्धारा
या फिर
प्ति का अपनी पत्नी पर हो
या,फिर
समाज के उन मुटठीभर
ठेकेदारों के द्धारा
जिन्होंने
देश को अपनी
बपौती मान रखा है
दुनियां का सबसे विशाल प्रजातंत्र
हमसे है ,पर जिसकी लगाम
चंद अरबपतियों के हाथ?
भला क्यों?
कभी सोचा?
नहीं लाभ इस इंतजार में कि
कभी खैालेगा खून किसी
नौजवान का
और वो बनकर मसीहा
बदलेगा समूची व्यवस्था
दिलायेगा न्याय
हर गरीब,दुखिया और
भ्रष्टाचार से
ये शुरुवात हमसे
और आज से क्यों नहीं?
दोहराव नहीं झेलना है यदि
अंग्रेजों की गुलामी की
वजहों का
तो वक्त ह ैअब भी
सोचो,समझो और
जुट जाओ
रात के बाद सुबह का आना तय है
एक साफ उजली और
स्ंुादर सुबह
जिसका सदियों को
इंतजार है
waah bahut khoob...
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
रात के बाद सुबह का आना तय है ek sakaratmak soch....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...एक दम सटीक बात....
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