हर शुरुवात एक मौन खूबसूरती का
पर्याय हुआ करती है
एक दुधमुंहे शिशु के
जीवन के रुप मे हो या फिर
तरोताजगी से भरी अधखिली गर्वित
नई नवेली कली के प्रस्फुटन की या फिर
रात के अंधेरे मे धने काले मेधों के
पर्दे से झांकती मदमाती मुस्कुराती सुबह की
काल के इस जादुई सम्मोहन में जकडे जीव द्धारा
समय के चक्र को फेरने के तमाम जतन
तमाम उपकरण औचित्यहीन हो जाते हैं अंततः ।
काश कि संपूर्ण जीवन ही होता
शुरुवात की तरह
आदि से अंत तक
सरल निश्छल और बिंदास तो
वो दुनियां ये दुनियां न होती
और तब अस्तित्वहीन हो जातीं
स्वर्ग की जादुई परिकल्पना
इस धरती से ।
bahut sundar abhivyakti...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंbahut sundar :)
जवाब देंहटाएंBAHUT HI SUNDAR PARIKLPANA HAI
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar Abhivaykti Vandana ji ,Aap gwalior Bhopal se hain Aakashwani se hain ,MAin bhi Gwalior Bhopal se hun Aakashwani se bhi purana nata hain .Kripya mere blog par avashya Padhare.
जवाब देंहटाएंhttp://aarohiradhi.blogspot.in