मैंने नहीं रची कोई रणनीति
किसी महायुद्ध की
ना ही काम पिपासा को
शांत न करने की
सज़ा स्वरुप
श्राप दिया किसी अप्सरा को
धरती पर जाने का
मैंने तो धर्म रक्षा के लिए
छोड़ा भी नहीं अपनी गर्भवती
पत्नी को
घने बीहड़ में
ना ही किसी औरत को अपमानित
किया
किसी प्रणय निवेदन पर
मै तो भूला भी
नहीं
अपनी प्रेमिका को किसी
क्रोधी ऋषि के श्राप से
ना ही आँखों पर पट्टी बांधे पुत्र मोह में ,
होते देखता रहा नर संहार
अन्याय और धोखे की शिकार
अपनी पत्नी को
क्रोधवश पत्थर भी नहीं
बनाया मैंने
महानुभाव ....
अब भी यदि आप मुझे संत य
देवता जैसे शब्दों से
सम्मानित करेंगे
हो सकता है कि मै इसे अपना
अपमान समझूँ
गहरी बात कह गयी हैं इन पंक्तियों में...
जवाब देंहटाएंkya baat hai!!!!!!!!!!!!!!behad khoob
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