एकांत
एक ऐसा देश
सूर्य जहाँ विश्राम करता है
जहां फूल निर्भय स्वछन्द हो
अपनी सुगंध बिखेरते हैं
पूरी प्रथ्वी पर |
नदियाँ बहती हैं चमकती दुपहर में
सूर्य की किरणों के साथ
अठखेलियाँ करती
अस्त होते सूर्य को अपनी सिंदूरी लहरों से
विदा देती और चांदनी रात में
रजनीगन्धा की तरंगों से
झिलमिलाते हुए गुफ्तगू करती हुई |
यही है वो देश जहाँ मै
संसार के रहस्य से मुक्त और
जीवन के सच से रू ब रू होती हूँ
यहाँ मैंने ईश्वर की आत्मा को
पानी की सतह पर तैरते हुए देखा है
(प्रकाशित कविता )
एक ऐसा देश
सूर्य जहाँ विश्राम करता है
जहां फूल निर्भय स्वछन्द हो
अपनी सुगंध बिखेरते हैं
पूरी प्रथ्वी पर |
नदियाँ बहती हैं चमकती दुपहर में
सूर्य की किरणों के साथ
अठखेलियाँ करती
अस्त होते सूर्य को अपनी सिंदूरी लहरों से
विदा देती और चांदनी रात में
रजनीगन्धा की तरंगों से
झिलमिलाते हुए गुफ्तगू करती हुई |
यही है वो देश जहाँ मै
संसार के रहस्य से मुक्त और
जीवन के सच से रू ब रू होती हूँ
यहाँ मैंने ईश्वर की आत्मा को
पानी की सतह पर तैरते हुए देखा है
(प्रकाशित कविता )
एकान्त में शान्त है प्रकृति का नाद..
जवाब देंहटाएं