स्मृति का मेरे जीवन से
वही रिश्ता है जो
हरियाली का जल से
धडकनों का दिल से और
इंसान का गर्भ से |
स्मृति जीती है खुद को मेरे
भीतर
एक शिशु की तरह
हंसना रोना बात करना और
खुश होना सिखाया है मैंने
ही उसे |
करवटों की गिनती उसे याद है
मुहं जुबानी
नींद को उसी ने पढ़ाया है
पहर गिनना
आँखों के हर मौसम की आहट है
वो |
उसे मैंने दे दिया है एक
कोना
अपने अंतर्जगत का
बना लिया है जिसमे उसने
अपना एक
ख़ूबसूरत घर
स्मृति मुझमे रहती हैं
मै ही स्मृति हूँ ....
स्मृतियों के सहारे हम हम बने रहते हैं।
जवाब देंहटाएंtouchy
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