चिंतन
कवितायेँ और कहानियां
28 अक्तूबर 2013
क्यूँ नहीं ...!
क्यूँ नहीं होता कोई ऐसा ज़िंदगी में
जो कहीं नहीं होता पर
होता है हमारी यादों में सबसे ज्यादा
भटकता रहता है गलियारों में आत्मा की
और हम ये दावा भी नहीं कर पाते
कि देखो
प्यार का चेहरा ऐसा होता है !
1 टिप्पणी:
प्रवीण पाण्डेय
29 अक्तूबर 2013 को 4:49 am बजे
स्मृतियों के गलियारों में रहते हम सब।
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स्मृतियों के गलियारों में रहते हम सब।
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