10 अगस्त 2012

एकांत

एकांत
एक ऐसा देश
सूर्य जहाँ विश्राम करता है
जहां  फूल निर्भय स्वछन्द हो
अपनी सुगंध बिखेरते हैं
पूरी प्रथ्वी पर |
नदियाँ बहती हैं चमकती दुपहर में
सूर्य की किरणों के साथ
अठखेलियाँ करती
अस्त होते सूर्य को अपनी सिंदूरी लहरों से
विदा देती और चांदनी रात में
रजनीगन्धा की तरंगों से
झिलमिलाते हुए गुफ्तगू करती हुई |
यही है वो देश जहाँ मै
संसार के रहस्य से मुक्त और
जीवन के सच से रू ब रू होती हूँ
यहाँ मैंने ईश्वर की आत्मा को
पानी की सतह पर तैरते हुए देखा है
(प्रकाशित कविता )

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