नाईट सफारी -
हम लोग जब नाईट
सफारी पहुंचे तब शाम के करीब सात बजे थे अन्धेरा घिर गया था बादल और हल्की बारिश
भी थी |नाईट सफारी एक जू है जिसका समय रात के छः बजे से ग्यारह बजे तक है |मुझे
बताया गया था कि जंगल में खुली ट्राम में से सभी जंगली जानवरों को आसपास घूमते हुए
देखा जा सकता है थोडा डर तो लग रहा था लेकिन डर से ज्यादा रोमंचित थी |टिकिट लेकर
हम ट्राम की प्रतीक्षा करने लगे रात और गहरा गई थी |कि तभी ट्राम आकर नियत स्थान
पर खडी हो गई |ट्राम चारों और से वाकई खुली हुई थी एक छत ज़रूर थी उस पर जो बारिश
से बचने के लिए होगी |उसमे हम लोग बैठ गए ट्राम छोटी थी सो जल्दी ही सवारियां भर
गईं हलाकि ज्यादा लोग नहीं थे क्यूँ की दो ट्राम अनवरत चलती रहती हैं रात ग्यारह
बजे तक | जो थोड़ी बहुत ‘’आड़’’ थी वो भी कांच की पारदर्शी दीवारों की लिहाजा हमें
अपने केबिन से सभी यात्री दिखाई दे रहे थे और उन्हें हम | ट्राम ऐसे चल रही थी
जैसे उड़ रही हो या हम उड़ रहे हों क्यूँ की उसमे ज़रा भी आवाज़ नहीं थी |वजह पता पडी
कि आवाज़ होने से जानवर इसकी और आ सकते हैं |जैसे जैसे ट्राम पटरियों पर लहराते हुए
‘’उड़ रही थी जंगल व् अन्धेरा और घना हो रहा था ..सुई पटक सन्नाटा ...|मारे डर के
मेरी सिट्टी पिट्टी गुम ..मैंने देखा कि अन्य यात्री जिनमे ज्यादातर विदेशी थे भी
डरे से उस घनघोर अँधेरे जंगल की और देख रहे थे |मेरी रही सही हिम्मत ट्राम के
ड्राइवर को देख कर खोने लगी ट्राम की ड्राइवर एक बेहद दुबली पतली कम उम्र की चीनी
लडकी थी | अनायास कई अधूरे काम याद आने लगे और ये भी अहसास होने लगा कि अधूरे रहना
ही उन बेचारों की नियति होगी | लेकिन मुझे ये सुनकर कुछ राहत मिली के ये बहुत ट्रेंड
होती हैं और ट्राम में फोन ,इमरजेंसी आदि की सभी सुविधाएँ मौजूद हैं | ट्राम के
बाहर घने अंधेरों के बीच २ में स्पॉट लाईट की रोशनी में जानवर चहलकदमी करते या
बैठे दिखाई दे रहे थे |कुछ विशाल शरीर के जानवर भी थे जिन्हें कभी नहीं देखा था ये
ज्यादातर अफ्रीका के जंगलों में रहने वाले जानवर थे | भारतीय जानवरों में बब्बर
शेर हाथी वगेरह थे |अचानक ट्राम घने जंगल के अँधेरे में रुक गई |सामने गेंडा हाथी सपरिवार
विचरण कर रहा था हमारे और उनके बीच की दूरी बस कुछ फर्लांग ही थी |माइक पर एक
उद्घोषणा हो रही थी कि जो पेसेंजर जानवरों को और नजदीक से देखना चाहते हैं वे
ट्राम से उतर जाए कुछ देर बाद आकर हम आपको ले लेंगे लेकिन इस एहतियात के साथ की जो
पैदल मार्ग आपके लिए बनाये गए हैं उनसे बाहर न जाएँ |बहुत जिद्द करके मैं भी
आखिरकार अन्य यात्रियों के साथ ट्राम से उतरने में सफल हो गई |मार्गों पर लोहे की
जालियां लगी थीं स्पॉट लाईट की रोशनी में करीब से जानवरों को देखना उनकी
गतिविधियाँ आदि अद्भुत था |\कुछ देर बाद ट्राम आ गई और हम लोग उसमे बैठ गए | (वहां
फोटो लेने की मनाही थी )
अँधेरे में जंगल के जानवरों को निहारना बहुत ही हिम्मत का कार्य है।
जवाब देंहटाएंsahi kah rahe hain praveen ji :)
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