‘’दी हाइब’’ ‘द फेमिली व् ‘’मिसिज़ काल्डवेल स्पीक्स टू हर सन ‘’जैसे विश्व
प्रसिद्द स्पेन के उपन्यासकार एवं नोबेल पुरस्कार विजेता (1989 ) कामिलो खोसे सेला द्वारा
लिखित ‘’पास्कुआल दुआर्ते का परिवार’’ आज पढकर पूरा किया |यद्यपि ये उपन्यास मूलतः
पास्कुआल और उनके परिवार के आसपास घूमता है लेकिन उसमे समकालीन स्पेनी समाज के संघर्ष
, सामाजिक भयावहता और निष्ठुर यथार्थवाद
का जीवंत और मार्मिक वर्णन किया गया है| ये उपन्यास तात्कालीन समय के फ्रांको-शासन
की चमचमाती छवि के नेपथ्य में आम जनता के
निष्ठुर यथार्थ का खुलासा है |किसी उपन्यास में विस्तार (Details) की क्या अहमियत
होती है ये उपन्यास बहुत बारीकी से दर्शाता है | राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित उक्त उपन्यास
का हिन्दी अनुवाद पाठक द्वारा उपन्यासकार के मर्म को गहराई तक समझ लेने में काफी
हद तक मददगार है |
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