औरत
औरत होने से पहले एक जिस्म है,
जैसे बबूल एक पेड़
गंगा एक नदी
गाय एक जानवर
ह्त्या एक अपराध
जैसे अहिंसा एक झूठ
विडम्बना का कोई नाम नहीं होता
वो तो बस होती है
जैसे ,
बस होता है एक ज़न्म ,
कुछ नियति ,कुछ विवशताएं
सब अपना अपना इतिहास गढ़
फ़ना होते हैं
बहुत खूब्।
जवाब देंहटाएंthanks vandana ji
जवाब देंहटाएंgahri soch ko ingati karti abhivyakti.
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