चिंतन
कवितायेँ और कहानियां
25 जून 2012
मैंने कहा
उसने कहा बीज...मै पौधा हो गई
उसने कहा चिड़िया ....मै पंख हो गई
उसने कहा शाख मै कली हो गई ..
उसने कहा फूल मै सुगंध हो गई
उसने कहा सुगंध ...मै हवा हो गई
उसने कहा हवा मै आकाश हो गई
ज़िंदगी कुछ भी नहीं ,मजाक के सिवा
मैंने कहा
1 टिप्पणी:
VIJAY KUMAR VERMA
25 जून 2012 को 10:52 pm बजे
wah ...bahut hee khoobsurat rachna
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