12 अक्तूबर 2011

प्यार


कैसे बताऊँ तुम्हे,
कि प्यार प्यार होता है
व्यापार नहीं |
कोई शर्त,कोई गारंटी, ‘’बिका माल वापस नहीं ‘’टाईप,
बड़े ज़हाजों में लदकर भी नहीं आता ये ,
बंदरगाहों पर विशाल खोखों में उठाकर 
पटका भी नहीं जाता इसे 
कोई बहीखाता भी नहीं होता इसका
फायदे नुक्सान के जोड़ तोड़ का
इसके लिए गोष्ठियां भी नहीं होतीं
जैसे होती हैं बुद्धिजीवियों के खेमों में,
प्यार उतना भी ज़रुरी नहीं,
कि धरने दीये जाएँ इसके लिए  ,जैसे
दिए जाते हैं किसी न्याय को पाने ,  
आँखें तक नहीं होतीं इसकी तो देखने को,
पहले ज़रूरत नहीं थी उनकी 
और अब मोहलत....
आँखें तो सिर्फ नफरत की होती हैं
जिनका धर्म सिर्फ तरेरना है ,
ऑंखें सिर्फ खुद को फेर लिए जाने के लिए होती हैं
इतराती हुई कि शुक्र है वो पीठ पर नहीं 
जो देख सकें आँखों का पानी, 
मोबाईल,कंप्यूटर ,लेंड लाइन के बाज़ार में, 
आज भी बचाए  रखी है एक ही  स्त्री ने 
अपने भीतर माँ ,बहन ,बीवी ,प्रेमिका,
और एक निखालिस औरत की आत्मा
 प्रेम में होती है
सिर्फ एक ऊष्मा जो बहती है भीतर ही भीतर
बाहर को स्थगित करती हुई
तुमने कहा ,अब प्यार नहीं .क्यूंकि
तुमने की मेरे क्रोध की मीमांसा...
मेरी मनमानी की व्याख्या...
मेरे वक्त में सेंध लगाईं 
 मेरे वुजूद पे हक जमाया
और ना जाने क्या....
तुम कह रहे थे जब ये सब
अतीत  लगभग बहरा हो चुका  था
तुम जब निचोड़ कर सूखने डाल रहे थे किसी के सपने   
प्यार प्रथ्वी के किसी अँधेरे से एक कोने में सिमट
मुस्कुरा रहा था /शायद तुम पर ?
शायद मुझ पर ?या हो सकता है खुद पर ?
अविश्वास सा कुछ पहना था उसने
सोच रहा था मन ही मन ,
कहीं नीले बादल यकायक सिंदूरी होने लगते,
कोई कली चुपचाप मुस्कुराती चटखने लगती,  
कोई ओस की बूंद हौले से पत्ते पर गिरती,
इतना ही मौन होना था निखालिस प्यार
जहाँ तर्क को थक थकाकर हांफता हुआ ढह जाना था .... 


4 टिप्‍पणियां:

  1. WAH PYAR AUR STRI DONO KE BHAV AUR SAMPOORNATA KO KHOOBSOORTI SE UKERA HAI

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  2. बहुत खूब ! बहुत भावमयी अभिव्यक्ति..

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  3. कैसे बताऊँ तुम्हे,
    कि प्यार प्यार होता है
    व्यापार नहीं |
    कोई शर्त,कोई गारंटी, ‘’बिका माल वापस नहीं ‘’टाईप,
    बड़े ज़हाजों में लदकर भी नहीं आता ये ,


    Please Compare.

    चिन्तक और समीक्षक
    तो इस जगत का यार है,
    सृष्टि से ही उसे प्यार है.
    सिद्धांत ही उसका श्रृंगार है.
    प्रतिदान, अवदान और
    सुविधा की बात
    तो निरा व्यापार है.

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  4. vandana di!
    main to kayal hoon aapki simplicity aur ander tak jhakjor denewali bhawanao ki!!!!!!!!!!!!!!!!

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