10 मई 2013

दिनांक -१०-५-२०१३
कल जेट एयरवेज़ की फ्लाईट से सिंगापूर पहुँची |चानी हवाई अड्डे से पंगोल सारा समीन के साथ उनके घर  |नया शानदार फ्लेट आठवीं मंजिल पर खूबसूरती के अलावा  और कुछ नहीं घर में भी और बाहर भी  |दौनों आर्टिस्ट हैं ...बड़े बड़े शीशे पूरे घर में ख़ूबसूरत पेंटिंग्स कम लेकिन शानदार फर्नीचर बहुत करीने और मेहनत से सजाया गया |मैंने पहले भी ये महसूस किया है कि (फ्लाईट से )जैसे जैसे आसमान में रोशनी (धूप) की तीव्रता यानी नीले पटल पर छितराए सफ़ेद बादलों के गुछे कहीं गाढे कहीं इक परतीय जब धुंधलाने लगते हैं और मौसम का मिज़ाज कुछ ढीला होने लगता है ये एक पुख्ता सूचना होती है (प्रकृति प्रदत्त)की अब सिंगापूर आ रहा है |(क्या मौसम भी जानता है कहाँ कैसे उगना है उसे )?खैर सिंगापूर के समयानुसार  यहाँ साढ़े पांच बजे थे | सामान्य चहल पहल,सुकून,कोई हडबडाहट नहीं न चेहरों पर न सडकों पर |सब अपने अपने कामों गतिविधियों में मसरूफ |मुझे यहाँ की ये अदा भाती  है लोग दूसरों से ज्यादा अपनी ज़िंदगी से मतलब रखते हैं और सुख दुःख अपने स्तर पर भोगते हैं |राजनैतिक सामाजिक स्थितियां उनकी दिनचर्या और ज़िंदगी में ज्यादा जगह नहीं घेरतीं |पूरा देश रात में भी रोशनी से सराबोर रहता है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें