23 मई 2013

सिंगापूर डायरी


कल शाम एक बार फिर ''Gardens by the bay ''देखने गए |फूलों की हजारों किस्मे ...खुशबुओं से सराबोर पूरा क्षेत्र |देशी विदेशी  पर्यटकों की भरमार |कई मंजिलें ...हर मंजिल पर विभिन्नता ...कहीं पोस्टर्स और मूर्तियाँ कहीं  ,स्लाइड शो ..कहीं पर्यावरण प्रदर्शनी उन्ही के बीच चमचमाती ख़ूबसूरत रंग बिरंगी दुकानें |चौथी मंजिल पर एक हॉल  जहां एक बड़ा पर्दा लगा था यहीं एक स्लाइड शो चल रहा  था एक डोक्युमेंट्री फिल्म दिखाई जा रही थी . विषय था दुनियां 2110 तक कैसी होगी यदि प्रदूषण और वन कटाई को रोका नहीं गया |डरावनी थी वो ...नई बीमारियाँ ,सूखा,जनसँख्या ,तापक्रम, युद्ध के नए अन्वेषण , अराजकता ,सामाजिक जीवन ,भुखमरी |फिल्म को इतना जीवंत बनाया गया था लगता था जैसे सब कुछ सामने ही घटित हो रहा हो |लाईट और साउंड का जबरदस्त संयोजन |खैर आख़िरी यानी सबसे ऊंची मंजिल पर बादलों से रु ब रु कराया गया था |मद्धम रोशनी में घने बादलों के ठन्डे गुच्छे जिनके बीच में घूमते लोग |बच्चों को वहां विशेष आनंद आ रहा था हलाकि ठण्ड की फुरफुरी भी बहुत थी |(सिंगापूर डायरी )

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