बहुत कोलाहल है वायुमंडल में.
कहीं मेलों का तो कहीं
खेलों का ,
कहीं चर्चे ''आर्ट ऑफ़ लिविंग ''के
तो कहीं बहसें ''ऑनर किलिंग ''पे ,तो कही
भ्रष्टाचार से दिपदिपाते मांसल गोलमटोल चेहरे
बड़े बड़े ओहदों से लदे फदे देश की चिंता करते
अपने विशाल वातानुकूलित महलों में
गुदगुदे गद्दों के बीच विराजे
या की लड़ते झगड़ते अवतरित होते टी वी चेनलों में ,
देश के चिंताओं पर चिंतन बहस करते
झूठ को सच और सच को झूठ करते
बेशर्मी भी इनसे शर्मा जाये
तो कहीं ,
''पोजिटिव थिंकिंग ''की सीख देते
अपने महल नुमा 'मंदिर में''विराजे
भक्तों की भीड़ में चींटों के विशाल झुण्ड में गुड की डली से ये ''लिविंग गुरु''
दे रहे हैं शिक्षा ''खुश रहने की
हर हाल में ,कि
भूख एक अहसास है
और गरीबी ,अमीर बनने का लालच
इसी लालच से बचना है तुम्हे
यदि खाने को कम है तो सोचो कि
ज्यादा भोजन स्वास्थ्य के लिए
हानिकारक है
चीथड़ों में जीवन की निस्सारता छिपी है
किसी भी किस्म का अन्याय
जूझने का अभ्यास है
इसे ही तो ''पोजिटिव थिंकिंग''कहते हैं
उलटवासी
धुप तो खिला करती थी पहले भी
पर अब ये खिलती कम
तपती अधिक है
झाड़ लिया है पल्लू सूरज ने भी
अपनी तपन को ''ओजोन के सर''मढ़ कर
प्रकृति भी सीख गई है
आदमी के नुस्खे
झाड़ लिया है पल्लू सूरज ने भी
जवाब देंहटाएंअपनी तपन को ''ओजोन के सर''मढ़ कर
प्रकृति भी सीख गई है
आदमी के नुस्खे
आदमी जिसको न अपने नुस्खे सिखा दे.
बहुत सुन्दर
बहुत से मुद्दे उठाये हैं इस एक रचना में ... सटीक लिखा है ..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता जी इस प्रोत्साहन के लिए
जवाब देंहटाएंअपनी तपन को ''ओजोन के सर''मढ़ कर
जवाब देंहटाएंप्रकृति भी सीख गई है
आदमी के नुस्खे .
बहुत ही उम्दा पंक्तियाँ,रचना में सामयिक संदेश भविष्य को सँवारने में निश्चय ही कारगर साबित होगा.
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
जवाब देंहटाएंबहुत बदिया /इंसान जिसे चाहे अपनी सोच सिखा सकता है /वो चाहे प्रकृति ही क्यों ना हो /सार्थक एवं अच्छा ब्यंग करती हुई सार्थक रचना /बहुत बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /
www.prernaargal.blogspot.com
आप सभी का आभार
जवाब देंहटाएंधुप तो खिला करती थी पहले भी
जवाब देंहटाएंपर अब ये खिलती कम
तपती अधिक है ...
अच्छे भाव... सुन्दर रचना...
सादर....
एक एक शब्द ऐसे बिछे मन पर कि सोचती बोलती सब बंद हो गयी...प्रशंसा में क्या कहूँ ?? कुछ भी कहूँगी कम होगा...
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी, जिंदाबाद...