ओस की बूँद,जो टपकी हैं,अभी ही
नाज़ुक पंखुड़ी के माथे पर,
सिहर गयी है शाख तक
उस कोमल अहसास से!
अंगडाई ले, उठी है कलियाँ!
मुस्काती गीली अलकों से,
बूँद खिलखिलाती हुई
ढुलकती है कोपल पर!
गोद में पत्तों की,छिपती
खेलती,दुलराती हवा,
हलकी सी गुदगुदाती तपन
करतीं हैं चुहल मोती से!
मोती,जो बिखर जायेंगे,
खुशबुओं-से , तितली बन !
इंतज़ार करेंगी कलियाँ,
उस भीगते अहसास का ,
मुस्कुराते हुए फिर से,
कल सुबह होने तक ....
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नए वर्ष की शुभकामनायें
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साल की शुरुआत के लिए बहुत ही खूबसूरत शब्द.
जवाब देंहटाएंआपको भी नए साल की ढेर सारी शुभकामनाएं :)
आशा है इस साल भी आपकी बढ़िया कवितायें और कहानियां पढ़ने को मिलती रहेंगी. ऐसे ही लिखती रहें.
... umdaa !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ईशान जी
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी निस्संदेह अमूल्य और प्रेरक रही है,हार्दिक आभारी हूँ आपकी !नव वर्ष आपके लिए सपरिवार ,खुशियों और उपलब्धियों से भरा रहे ,यही कामना करती हूँ
वंदना
धन्यवाद 'नया सवेरा '
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
वंदना