कल रात थी हर रात –सी
बोझिल उबाऊ सुनसान,
काले बादलों से भरी
पूरी रात बरसती रही उदासी
ठंडी बूंदों में ठिठुरती,
मौन सन्नाटों के साथ
पर सुबह,
पूरब में खिला है इन्द्रधनुष
आसमान है गीला ,पर साफ़
रात की बारिश ने धो दिए हैं
पुराने अर्थ कुछ नए शब्दों के
शायद ....
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