कितना तकलीफदेह होता है
अधूरे सपनों को
फिर सी पलकों में
भींच लेना?
या कि,खुबसूरत यादों को
ज़हन से बेदखल कर पाना
या ,
अविस्मरनीय पलों की
कसमसाहट से
खुद को समेट सकना
और कितना आसान होता है
किसी को सपने दिखा
खामोश हो जाना
कितना आसान होता है किसी को सपने दिखा खामोश हो जाना सपने दिखाने वाला भी कब खामोश हो सकता है. वह भी तो सपने देखा है तभी तो सपने दिखा रहा है सुन्दर और शानदार रचना
फिर सी पलकों में- फिर से पलकों में
जवाब देंहटाएं-बहुत गहन विचार.
कितना आसान होता है
जवाब देंहटाएंकिसी को सपने दिखा
खामोश हो जाना
सपने दिखाने वाला भी कब खामोश हो सकता है. वह भी तो सपने देखा है तभी तो सपने दिखा रहा है
सुन्दर और शानदार रचना
बहुत सुंदर भाव |आपका सोच सराहनीय है |बधाई
जवाब देंहटाएंऔर कितना आसान होता है
जवाब देंहटाएंकिसी को सपने दिखा
खामोश हो जाना
भावमयी प्रस्तुति
और कितना आसान होता है
जवाब देंहटाएंकिसी को सपने दिखा
खामोश हो जान
चंद लफ़्ज़ों मे ही ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा कह दिया।
धन्यवाद ,आप सभी को!आप जैसे सुधी पाठक मेरे ब्लॉग को पढ़ते और सराहते हैं ,निस्संदेह आपकी टिप्पणी मुझे प्रोत्साहित करती हैं!
जवाब देंहटाएंपुनः धन्यवाद्
वंदना