कितने चेहरे हैं
आदमी के पास
वक़्त के इस दौर में?
शायद उसे खुद नहीं पता!
बस बदलता रहता है ,
चेहरे पे चेहरा
मुखौटों की शक्ल में!
संबंधों,वक़्त या ओहदे के हिसाब से
या फिर किसी निरीह की
संवेदनाओं व् विवशताओं को
भुनाते '
ताजिंदगी ये खेल
बदस्तूर जारी रहता है!
कितनी महारत हासिल कर ली है उसने
चेहरों की इस अदला बदली में,
कि असली चेहरा खो ही गया है उसका
हैरानी होती है कभी कभी
कि इस
बेवुजूद और अदना सी ज़िन्दगी
के लिए
कितने फितूर
इस क़दर ज़द्दोज़हद?
क्या लगता है उसे
की वुजूद है उसका तब तक!
जब तक नष्ट नहीं हो जाते
धरती पर से
हवा पानी
और चेहरे?
कितनी महारत हासिल कर ली है उसने
जवाब देंहटाएंचेहरों की इस अदला बदली में,
कि असली चेहरा खो ही गया है उसका
या शायद वह खुद अब अपना असली चेहरा भूलने के कगार पर है.
बेहतरीन अभिव्यक्ति
thanks Mr verma
जवाब देंहटाएंमुखौटे, चेहरे,या फिर रंगों से पुती सूरतें.
जवाब देंहटाएंआईने आईने का फेर है. :)
बढ़िया शब्द. बधाई
thanks ishan
जवाब देंहटाएंvandana
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 5-10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
खूबसूरती से कही बात ..
जवाब देंहटाएंआदमी की नकाब उतार दी ।
जवाब देंहटाएंचेहरे पर छुपे चेहरे का मुखौटा उतार दिया।
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/2010/10/19-297.html
जवाब देंहटाएंयहाँ भी आयें .
वंदना जी सर्वप्रथम तो मेरे ब्लॉग को पढने और प्रशंशा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद....दरअसल ब्लॉग पर अभी नयी कोशिश ही है मेरी! आप जैसे प्रबुध्ध रचनाकारों को पढने का मौका मिलता है ये मेरे लिए खुशो का सबब है.आपकी रचना ''टुकडियां;;अभी पढ़ी..बेहतरीन अभिव्यक्ति...टिप्पणी भेजने में कोशिश के बावजूद सफल नहीं हो सकी इसके लिए माफ़ी चाहती हूँ
जवाब देंहटाएंवंदना
बहुत बहुत धन्यवाद अजय जी
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को पढने और सराहने के लिए
आपकी कुछ रचनाएँ अभी पढ़ी....शानदार....
वंदना
क्या लगता है उसे
जवाब देंहटाएंकी वुजूद है उसका तब तक!
जब तक नष्ट नहीं हो जाते
धरती पर से
हवा पानी
और चेहरे
bahut khoobsurri se kahi aapne apni baat.
सुन्दर भावाव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंनकली चेहरे ढोते लोंग अपना असली चेहरा ही भूल जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही ...!
सच है आज हर आदमी कई चेहरों के साथ घूमता है और हालात के हिसाब से बदलता रहता है .......
जवाब देंहटाएंबहतरीन रचना ...
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद्!मेरी कविता के प्रति आपके विचार ही मेरी प्रेरणा हैं !
जवाब देंहटाएंvandana