25 सितंबर 2010

साजिश

दुनियां बंटी है ,सिर्फ दो हिस्सों में
अच्छा या बुरा
ज्यादा से ज्यादा
बहुत अच्छा या बहुत बुरा ,बस
मनुष्य,घटनाएँ,
,स्थिति,मौसम
नफरत,ख़ुशी,गम,प्यार,रस
ओहदे,देश,समाज,प्रेमी,संतान,सब कुछ
बीच किसी चीज़ का नहीं होता
पर हो ये रहा है आजकल
कि ''बीच'' के मुखौटे
बिक रहे हैं खुल्लम खुल्ला
सरेआम,अनैतिकता के
गलियारों में
और तथाकथित ''समर्थों''की जमात
जो इसी की आड़ में
कर रही हैं साजिश बाँटने की
देश,समाज,धर्म ,दल,
बेच चुके हैं खुद जो
अपने ज़मीर को भी
काश,कोई सुरत हो ऐसी
जो नोच फेंके इन
मुखौटों को ,ताकि
पर्दाफाश हो सके
मुखौटों के पीछे छिपे
इंसानियत के दुश्मनों का

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